Sawan 2025 (श्रावण) हिंदू चंद्र कैलेंडर का पाँचवाँ महीना होता है, जो सामान्यतः जुलाई – अगस्त का समय होता है । यह मोनसून के आगमन से मेल खाता है और शिवभक्तों के लिए विशेष रूप से पूजनीय माना जाता है।
महत्व की कथा (समुद्र मंथन/Samundra Manthan)
इस महीने की महत्ता समुद्र मंथन से जुड़ी कथा पर आधारित है जहाँ देवताओं व असुरों ने अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन किया। उस दौरान निकला हलाहल विष ब्रह्मांड के लिए खतरनाक था। तभी भगवान शिव ने स्वयं उस विष को ग्रहण कर ब्रह्मांड को रक्षा की । उन्होंने गले में विष को थामे रखा, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे ‘नीलकंठ’ कहलाए। इस कथा स्मृति में सावन महीना शिव-प्रीतिपूर्ण माना जाता है।

सावन 2025 (Sawan 2025) – तिथियाँ व पूजा विधि (Dates and pooja vidhi)
प्रारंभ: 11 जुलाई 2025
समाप्ति: 9 अगस्त 2025

महत्वपूर्ण तिथियाँ (Important Dates):
शिव सोमवार व्रत:
- प्रथम somvar – 14 जुलाई
- द्वितीय – 21 जुलाई
- तृतीय – 28 जुलाई
- चतुर्थ – 4 अगस्त
Sawan shivratri: 23 जुलाई 2025, रात्रि जागरण और जलाभिषेक सहित पूजा की जाती है |
पूजा-विधि और व्रत (Pooja Vidhi and Vrat)
शिव सोमवार व्रत (Shiv Somvar Vrat):
- सोमवार के दिन उपवास रखा जाता है, जैसे केवल फल, दूध-वजह या केवल जल से से तुष्टि।
- सुबह स्नान, साफ कपड़े और खास शिवालय में शुद्ध मन से पूजा की जाती है ।
- बेलपत्र, दूध, गंगाजल, धूप-दीप, फल-फूल, पंचामृत अर्पित किये जाते हैं।
सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri):
- रात्रि 12 बजे के आसपास विशेष पूजा, जलाभिषेक (शिवलिंग पर जल/दूध/गंगाजल), मंत्रोच्चारण जैसे “ॐ नमः शिवाय” और ‘महामृत्युंजय’ मंत्र जपे जाते हैं ।
- जागरण, भजन, उपवास और सुबह पारंपरिक तरीके से व्रत खोलना शुभ माना जाता है।
मंगलवार व्रत (मंगल गौरी) Mangalwar Vrat:
- सावन में मंगलवार को माता पार्वती का व्रत मनाया जाता है, जिसे मंगल गौरी व्रत कहा जाता है।
- स्वयं शिव-पार्वती की एकता की प्रतीक यह व्रत वैवाहिक जीवन में सौभाग्य तथा सुख-चैन के लिए उपवास व पूजा दी जाती है ।

आहार और स्वास्थ्य लाभ
सात्विक आहार:
सावन में सात्विक और हल्के आहार को महत्व दिया जाता है:
- साबुदाना खिचड़ी, कुट्टू की पूड़ी, राजगिरा पराठा, समक चावल, फल चाट, सूखे मेवे आदि ।
- सामान्य नमक की जगह सेंधा नमक, हल्की हींग – जीरा – काली मिर्च आदि प्रयोग होती है ।
परहेज़:
- मांसाहार, अंडा, प्याज-लहसुन, चट्टानी नमक, भारी मसाले, शराब व तंबाकू वर्जित ।
- इसमें स्वास्थ्य कारण भी जुड़े हैं — बारिश में पाचन प्रणाली कमजोर होती है, लैक्टिक खाद्य पदार्थ जैसे दही व कढ़ी से पेट खराब होने की आशंका होती है ।
आध्यात्मिक लाभ
- इस महीने में उपवास व साधना से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा, परिवार में समरसता, विवाहित जीवन में सौभाग्य की कामना के लिए व्रत किये जाते हैं ।
- ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सूर्य का सिंह राशि में व्रत के समय चंद्र का उच्च प्रभाव, बुद्धि व आध्यात्मिक उन्नयन को प्रेरित करता है ।

24 वर्षों बाद बना त्रिराजयोग – दुर्लभ शिव योग का महासंयोग
त्रिराजयोग क्या है?
त्रिराजयोग एक विशेष ज्योतिषीय संयोग होता है जब तीन शक्तिशाली ग्रह (राज योगकारक) एक साथ शुभ स्थिति में आ जाते हैं। सावन 2025 में यह त्रिराजयोग 24 वर्षों बाद बन रहा है, और यह शिवरात्रि (23 जुलाई 2025) और सावन सोमवारों के साथ संयोग बना रहा है, जो इसे अत्यंत दुर्लभ और फलदायी बनाता है।
इस बार कौन से ग्रह बना रहे हैं त्रिराजयोग?
ज्योतिषियों के अनुसार निम्नलिखित 3 ग्रह मिलकर यह त्रिराजयोग बना रहे हैं:
- बृहस्पति (Guru/Jupiter) – धर्म, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक
- शनि (Shani/Saturn) – कर्म, न्याय और संरचना का कारक
- चंद्रमा (Chandra/Moon) – मन, भक्ति और भावनाओं का प्रतिनिधित्व
ये तीनों ग्रह शुभ भावों में, एक दूसरे के साथ विशेष योग बना रहे हैं, जो राजयोग का सूचक है।
इस त्रिराजयोग के लाभ (Benefits of Trirajyog in Sawan 2025)
लाभ | विवरण |
---|---|
आध्यात्मिक उत्थान | शिव की कृपा से साधना में प्रगति, ध्यान और पूजा में शक्ति |
धन-संपत्ति में वृद्धि | विशेषकर वृषभ, तुला, मकर, कुंभ, कर्क और मीन राशि वालों के लिए अत्यधिक लाभकारी |
विवाह व प्रेम जीवन में सुख | मंगल योग के प्रभाव से विवाह योग्य जातकों के लिए शुभ समय |
कर्ज और रोग से मुक्ति | व्रत और शिव पूजन से बाधाएं दूर होंगी |
भाग्य में उन्नति | अचानक लाभ, कार्य में सफलता, विदेश यात्रा के योग |
त्रिराजयोग में क्या करें? (What To Do During Trirajyog)
विशेष पूजा विधियाँ:
- शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, शहद और बेलपत्र अर्पित करें
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें
- “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप 108 बार करें
व्रत और साधना:
- सोमवार व्रत रखें और रात्रि में शिव चालीसा का पाठ करें
- शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण करें और 4 प्रहर में शिवपूजन करें
- दान पुण्य करें – विशेष रूप से काले तिल, जल, दूध और वस्त्र का दान
ध्यान और आत्मशुद्धि:
- ध्यान और प्राणायाम करें, जिससे चंद्र और शनि का प्रभाव संतुलित हो
- नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए रुद्राक्ष धारण करें
विशेष राशियों के लिए लाभ
राशि | लाभ |
---|---|
वृषभ (Taurus) | धन लाभ, प्रॉपर्टी से जुड़ा लाभ |
कर्क (Cancer) | मानसिक शांति, विवाह के योग |
मकर (Capricorn) | करियर में उन्नति, सम्मान |
मीन (Pisces) | अध्यात्म में रुचि, विदेश यात्रा के योग |
कुंभ (Aquarius) | सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि |
श्रावणी मेला और कांवड़ यात्रा
- सावन में भारी संख्या में कांवड़ यात्री गंगाजल लेकर शिवालयों में जलाभिषेक हेतु जाते हैं।
- यह यात्रा पुण्यप्राप्ति, आत्म-शुद्धि व कष्ट निवारण का प्रतीक मानी जाती है ।
निष्कर्ष
सावन महीना श्रद्धा, संयम, साधना और आत्मशुद्धि का प्रतीक है। यह शिवभक्तों को आहार, व्रत, जागरण, मंत्र, पूजा और यात्रा के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति दिलाता है।
“सच्चे मन से किया गया उपवास और भक्ति, जीवन में सुख-शांति, संतान-समृद्धि व आशीर्वाद ला सकता है।”
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