🕉️ आज का श्लोक

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥”
— श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 2, श्लोक 47

अर्थ: तेरा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए कर्म के फल का कारण मत बन, और अकर्म में भी आसक्ति मत रख।

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