Radhika Yadav भारत की उभरती हुई टेनिस खिलाड़ी की उनके ही पिता ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी है। यह खबर खेल जगत और आम जनता के लिए गहरा सदमा बनकर आई है। महज 25 साल की उम्र में एक होनहार खिलाड़ी की जिंदगी खत्म हो गई, और हत्यारोपी कोई और नहीं बल्कि उसका अपना पिता निकला।

कहां की रहने वाली थीं राधिका यादव?
राधिका यादव हरियाणा के गुरुग्राम की रहने वाली थीं। वह पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टेनिस टूर्नामेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। राधिका अपने जुनून के दम पर ITF और WTA जैसे प्लेटफॉर्म्स तक पहुंची थीं।
Radhika Yadav का टेनिस करियर – एक होनहार खिलाड़ी
- WTA और ITF टूर्नामेंट्स में हिस्सा लिया
- इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन रैंकिंग में टॉप 200 में रहीं
- करियर की बेस्ट रैंकिंग: 113
- एक टेनिस अकादमी खोलने की योजना पर काम कर रही थीं
हालांकि, वह अभी तक कोई बड़ा खिताब नहीं जीत पाई थीं, लेकिन उनकी मेहनत और लगातार सुधार ने उन्हें टेनिस जगत में एक उभरते सितारे के रूप में स्थापित कर दिया था।
क्यों हुई राधिका की हत्या? जानिए वजह
गुरुग्राम पुलिस के अनुसार, राधिका और उनके पिता दीपक यादव के बीच एक टेनिस अकादमी खोलने को लेकर विवाद चल रहा था। इसी बात को लेकर दोनों के बीच तनाव बढ़ता गया।
आरोप है कि इसी गुस्से में आकर दीपक यादव ने अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से पांच गोलियां चलाईं, जिनमें से तीन गोलियां राधिका को लगीं और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
पुलिस की कार्रवाई और आरोपी की गिरफ्तारी
- पुलिस ने आरोपी पिता दीपक यादव को गिरफ्तार कर लिया है
- हत्या में इस्तेमाल की गई लाइसेंसी रिवॉल्वर जब्त
- आरोपी ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल किया है
गुरुग्राम पुलिस के अधिकारी संदीप सिंह के अनुसार, यह हत्या पूरी तरह से पारिवारिक विवाद का नतीजा है, लेकिन इसकी गहराई से जांच की जा रही है।
सोशल मीडिया पर शोक और गुस्सा
इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी लोगों को झकझोर दिया है। खेल जगत से जुड़े कई लोगों और प्रशंसकों ने राधिका को श्रद्धांजलि दी है।
@sports4india – “एक पिता से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। राधिका देश का भविष्य थीं।”
@voiceforwomen – “टैलेंट को पनपने से पहले ही मार देना सबसे बड़ा अपराध है। न्याय मिलना चाहिए।”
कड़े सवाल समाज से:
- क्या महत्वाकांक्षी बेटियों को सपने देखने की सज़ा मिलती है?
- क्या परिवार की असहमति हत्या का कारण बन सकती है?
- क्या हमें लड़कियों की आज़ादी को आज भी स्वीकार नहीं?
राधिका यादव की हत्या सिर्फ एक बेटी की जान नहीं ले गई, बल्कि भारत की एक उभरती उम्मीद को खत्म कर दिया। यह घटना सिर्फ एक पारिवारिक ट्रैजेडी नहीं, बल्कि समाज में सोच और समर्थन की कमी का आइना है। जब बेटियां सपने देखती हैं, तो उन्हें पंख मिलना चाहिए, ना कि गोलियां।
डिस्क्लेमर:
यह लेख विभिन्न समाचार स्रोतों और पुलिस की शुरुआती रिपोर्ट्स पर आधारित है। जांच अभी जारी है, और कुछ विवरणों में बदलाव संभव है।
आपका क्या कहना है?
क्या राधिका को न्याय मिल पाएगा? क्या ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समाज में बदलाव जरूरी नहीं?
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