Income Tax Department (भारत के आयकर विभाग) ने हाल ही में एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाकर फर्जी टैक्स कटौती और झूठे रिफंड क्लेम करने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। यह कार्रवाई विशेष रूप से उन वेतनभोगी कर्मचारियों (salaried individuals) पर केंद्रित थी, जिन्होंने गलत कटौती दिखाकर आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल किए और अवैध रूप से रिफंड प्राप्त करने की कोशिश की।
कार्रवाई का दायरा और प्रभावित क्षेत्र
इस सघन अभियान के तहत आयकर विभाग ने विभिन्न राज्यों में छापेमारी की, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- महाराष्ट्र
- तमिलनाडु
- कर्नाटक
- केरल
- गुजरात
- पंजाब
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली–NCR)
इन स्थानों पर कर्मचारियों के साथ-साथ उन बिचौलियों (intermediaries) और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की भी जांच की गई, जो इन झूठे दावों को अंजाम देने में शामिल थे।
कितनी बड़ी है फर्जीवाड़े की रकम?
चारों स्रोतों के अनुसार, विभाग ने अब तक ₹1,045 करोड़ की फर्जी टैक्स कटौतियों की पहचान की है और इसे वसूला जा चुका है। यह वसूली वेतनभोगी वर्ग से संबंधित है, जिनमें कुछ सरकारी, सार्वजनिक क्षेत्र के और निजी कंपनियों के कर्मचारी शामिल हैं।
CNBC TV18 की रिपोर्ट के अनुसार, इन मामलों में कइयों ने स्वेच्छा से अपने गलत दावे वापस लिए और सुधारित ITR (Revised Return) दाखिल कर टैक्स जमा किया।

किस प्रकार की कटौतियों में फर्जीवाड़ा?
इनकम टैक्स की निम्नलिखित धाराओं के तहत बिना वैध दस्तावेज़ों के झूठे दावे किए गए:
- धारा 80C – LIC प्रीमियम, PPF, NSC, स्कूल फीस आदि
- धारा 80D – स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम
- धारा 80E – शिक्षा ऋण का ब्याज
- धारा 80G/80GGA/80GGC – धर्मार्थ संस्थाओं और राजनीतिक दलों को दान
- धारा 10(13A) – मकान किराया भत्ता (HRA)
इन कटौतियों में अधिकतर फर्जी रसीदें और मनगढ़ंत दस्तावेज़ प्रस्तुत किए गए।
कार्रवाई कैसे शुरू हुई?
विभाग को इन फर्जीवाड़ों की जानकारी मिली थी जब एक विशेष डेटा एनालिटिक्स टीम ने वेतनभोगी लोगों के ITR में कुछ असामान्य पैटर्न नोट किए। इसके बाद, संबंधित व्यक्तियों की जानकारी को Form 16, Form 26AS, AIS और बैंक विवरणों से मिलाया गया, जिससे गड़बड़ी की पुष्टि हुई।
Hindustan Times की रिपोर्ट बताती है कि इन मामलों में बिचौलिये सक्रिय रूप से शामिल थे, जो मामूली शुल्क लेकर फर्जी दस्तावेज़ तैयार करवाते थे।
तकनीक का उपयोग
इस ऑपरेशन में आयकर विभाग ने आधुनिक तकनीकों का भरपूर उपयोग किया, जिनमें शामिल हैं:
- AI (Artificial Intelligence) आधारित रिटर्न एनालिसिस
- डेटा एनालिटिक्स और डेटा माइनिंग
- PAN आधारित क्रॉस-वेरिफिकेशन
- AIS और TIS से रीयल टाइम डाटा मिलान
Financial Express के अनुसार, विभाग ने तकनीक का इस्तेमाल करते हुए लाखों रिटर्न्स का विश्लेषण किया और संदिग्धों को चिन्हित किया।
सुधार और आत्मस्वीकृति
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने करदाताओं को नोटिस भेजे और उन्हें मौका दिया कि वे अपनी गलती सुधारें। इसके बाद हजारों लोगों ने:
- पुराने ITR संशोधित किए
- अतिरिक्त टैक्स जमा किया
- ब्याज और जुर्माने का भुगतान किया
Deccan Herald के अनुसार, विभाग का यह कदम “स्वेच्छा से सुधार” के सिद्धांत पर आधारित था, जिससे करदाता दंड से बच सकते थे।
क्या होगी आगे की रणनीति?
नई ITR फॉर्म्स में सख्ती
अब हर छूट/कटौती के लिए डिटेल्स और दस्तावेज़ों की जानकारी देना आवश्यक होगा। जैसे:
- बीमा पॉलिसी नंबर
- चेक नंबर या ट्रांजेक्शन आईडी
- मकान मालिक का PAN (HRA केस में)
दोषियों पर दंड
यदि कोई झूठा दावा किया गया और पकड़ा गया, तो:
- 200% तक जुर्माना
- 24% वार्षिक ब्याज
- आपराधिक मुकदमा (Prosecution) भी संभव
रिफंड रोकना
विभाग ने कहा है कि जब तक किसी करदाता के पुराने मामले स्पष्ट नहीं हो जाते, तब तक आगामी रिफंड जारी नहीं किया जाएगा। यह प्रक्रिया AY 2025–26 से शुरू हो चुकी है।
बिचौलियों की भूमिका
इन मामलों में बिचौलिए (CA, टैक्स कंसल्टेंट्स, लोकल एजेंट्स) की भूमिका संदेह के घेरे में आई है। Financial Express की रिपोर्ट कहती है कि ये लोग करदाताओं से कुछ हजार रुपये लेकर रसीदें, दान प्रमाणपत्र, मेडिकल बिल, किराया रसीदें तैयार कर देते थे।
अब इन लोगों के खिलाफ स्वतंत्र जांच और FIR दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
करदाताओं के लिए क्या सबक?
- सिर्फ वैध दस्तावेजों का ही उपयोग करें
अगर आपने कोई निवेश या खर्च किया है, तो उसका प्रामाणिक रिकॉर्ड रखें। - किसी भी टैक्स सलाहकार पर आँख बंद कर भरोसा न करें
सलाहकार जो वादा करे, उसे दस्तावेजों के साथ क्रॉस-चेक करें। - आईटीआर में झूठा दावा करने से बचें
फौरी लाभ भले दिखे, लेकिन पकड़े जाने पर नुकसान कई गुना हो सकता है। - सुधार का अवसर लें
यदि गलती से कोई गलत दावा हो गया है, तो तत्काल Revised Return (धारा 139(5)) दाखिल करें।
निष्कर्ष
आयकर विभाग की इस कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब टैक्स प्रणाली तकनीक-सक्षम और गलती पकड़ने में कुशल हो चुकी है। यह अभियान न केवल एक चेतावनी है, बल्कि एक अवसर भी है — ईमानदारी से रिटर्न दाखिल करने का।
“अब टैक्स रिफंड पाने के लिए केवल चालाकी नहीं, सच्चाई ज़रूरी है।”
स्रोत:
अस्वीकरण (Disclaimer):
यह लेख केवल सूचना और जागरूकता के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें प्रस्तुत सभी जानकारियाँ विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार स्रोतों — Hindustan Times, CNBC TV18, Deccan Herald, और Financial Express — पर आधारित हैं। हम किसी भी प्रकार की वित्तीय, कानूनी या कर सलाह नहीं दे रहे हैं। कर संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी प्रमाणित टैक्स सलाहकार या चार्टर्ड अकाउंटेंट से परामर्श अवश्य लें।
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